5 मई 2011
इंदौर। मध्य प्रदेश में एक निजी अस्पताल पर गरीब बच्चों में हृदय रोग के इलाज के लिए सरकार की आर्थिक सहायता योजना की राशि हासिल करने के लिए एक मृत बच्ची का ऑपरेशन करने का आरोप लगा है।
पीड़ित परिवार की शिकायत पर जिला प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है, हालांकि अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि लिपिकीय त्रुटि के कारण 'प्रोग्रेस रिपोर्ट' में ऑपरेशन से पहले मृत्यु का समय दर्ज हो गया।
यह शिकायत नीमच के शकील अहमद अहमद ने दर्ज कराई है। मामला लगभग 10 माह पुराना जुलाई, 2010 का है। शकील के अनुसार, उनकी चार वर्षीया बेटी जीनत को दिल की बीमारी थी। शकील की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लिहाजा उसने राज्य सरकार से आर्थिक मदद के लिए आवेदन किया।
इस आवेदन पर सरकार की ओर से 75 हजार रुपये की राशि मंजूर की गई। शासन की ओर से मंजूर राशि का चेक उसी निजी चिकित्सालय के नाम जारी हुआ, जहां जीनत का ऑपरेशन होना था। तय समय के मुताबिक 27 जुलाई, 2010 को सुबह 9.30 बजे ऑपरेशन शुरू हुआ और शाम चार बजे तक चला।
अगले दिन 28 जुलाई को सुबह 9.10 बजे उसे मृत घोषित कर दिया गया। लेकिन अस्पताल के एक कर्मचारी ने शकील को बताया कि जीनत की मौत तो 27 जुलाई को ही हो चुकी थी। इस जानकारी के आधार पर उन्होंने अस्पताल से दस्तावेज निकलवाए। उसमें ऑपरेशन 27 जुलाई और मौत 28 जुलाई को बताई गई है, लेकिन 'प्रोग्रेस रिपोर्ट' में मौत 27 जुलाई सुबह 9.10 बजे दर्शाई गई है।
शकील ने मुख्यमंत्री कार्यालय को इसकी शिकायत की, जिस पर जिला स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है। इंदौर के कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने गुरुवार को बताया है कि मामला उनकी भी जानकारी में आया है। वह जांच करा रहे हैं।
वहीं, गोकुलदास अस्पताल के संचालक संजय गोकुलदास ने बताया कि जीनत के उपचार से सम्बंधित सभी दस्तावेज उन्होंने मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी को सौंप दिए हैं। जीनत की मौत ऑपरेशन के बाद 28 जुलाई को हुई। जहां तक प्रोग्रेस रिपोर्ट में मृत्यु की तारीख 27 जुलाई दर्ज होने की बात है तो वह लिपिकीय त्रुटि है
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